महाशिवरात्रि की कथा ! story of mahashivratri
महाशिवरात्रि की कथा
दोस्तों आज में आपके लिय भगवान शंकर की एक विशेष कथा लेकर आये है जिसे महाशिवरात्रि कहते है
दोस्तों शिवरात्रि के बारे में आप क्या ? जानते है पुराणिक कथाओ के आनुसार शिवरात्रि पर भगवान शिव का विवाह हुआ था और ये उनकी पहली रात थी जिसे महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है शिवरात्रि हिन्दू पंचांग आनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है |
दोस्तों महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए शिव भक्तों के लिए इसका विशेष महत्त्व है | महाशिवरात्रि में भगवान शिव की आराधना करने से सारे कष्ट दूर हो जाते है | शिवरात्रि का पूजन करने के बाद कथा अवश्य पढना व सुनना चाहिए |
तो दोस्तों में आपको महाशिवरात्रि कि९ पवन कथा बताता हूँ | आप पूर्ण श्रद्धा से पढ़े ,आशा हे मेरी ये कथा पढ़ कर आपकी मनोकामना पूर्ण हो
चित्रभानु नाम का एक भील था जो शिकार कर के आपने परिवार का भारण-पोषण करता था | वह बहुत ही गरीब था उसे कभी शिकार मिलता तो कभी नहीं | जब उसे शिकार नहीं मिलता तो वह एक साहूकार से कर्जा ले लेता था | धीरे-धीरे उस पर बहुत कर्जा हो गया | साहूकार कर्जा बसूली के लिय उसे बहुत सताने लगा |
एक दिन शिवरात्रि के दिन साहूकार ने कर्ज बसूलने के लिए चित्रभानु को आपने घर में कैद कर लिया | उस दिन साहूकार के घर में शिवरात्रि का पूजन भी था | तो चित्रभानु ने उस पूजन को पूरी श्रध्दा से देखा और सुनना |
महाशिवरात्रि पूजन करने से साहूकार के मन में दया का भाव उत्त्पन्न हुआ और उसने चित्रभानु को छोड़ दिया और कहा की तू शिग्रह मेरा कर्ज चूका देना |
साहूकार के एसे वचन सुन कर चित्रभानु उसी दिन शिकार करने गया | किन्तु क्गित्रभाणु को शिकार नहीं मिला चित्रभानु भटकते-भटकते बहुत घने जंगल में पहुच गया | चित्रभानु को बहुत रात हो गई थी वह एक बिल के पेड़ प् चढ़ कर बैठ गया और शिकार का इंतजार करने लगा उस पेड़ के निचे एक शिवलिंग था वह पत्तो में ढाका हुआ था जिससे चित्रभानु को नहीं दिखा| रात्रि का पहला पहर चालू हो गया था | चित्रभानु बिल के पत्ते तोड़-तोड़ कर निचे फेकने लगा | वह पत्ते निचे शिवलिंग पर गिरते थे | पत्ते गिरते ही उसके प्रथम पहर की पूजा पूर्ण हो गई जिससे उसके मन में भी दया का भाव उत्त्पन्न होने लगा |
तब वहा पर चित्रभानु ने एक हिरणी को आते देखा और हिरणी पर तीर से निशाना साधनें लगा | ये देख हिरणी ने चित्रभानु के आग्रह किया की में आभी गर्ववती हूँ और मुझे प्रसव पीड़ा भी हो रही है | मुझे आभी जाने दो में आपने बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास आ जाउंगी | चित्रभानु के मन में दया का भाव उत्तपन था इसलिए उसने हिरणी को जाने दिया | और इंतजार करने लगा |
फिर दूसरा पहर लग जाया था चित्रभानु पहले की तरह बिल पत्ते तोड़कर निचे फेकने लगा | तभी वह एक और हिरणी आई , उसे देख चित्रभानु ने फिर निशाना साधा , उसे देख हिरणी बोली में आभी ऋतू मुक्त हो कर आई हु और आपने पति को खोज रही हु कृपा कर मुझे आभी जाने दो में आपने स्वामी से मीलकर तुम्हारे पास आ जाउंगी में आपको वचन देती हूँ | चित्रभानु ने उड़े भी जाने दिया | और बिल के पत्ते तोड़ कर निचे फेकने लड़ा और तीसरे पहर लागते उसने तीसरे पहर की पूजा संपन की |
चित्रभानु बेठा इंतजार करता रहा फिर वहा एक और हिरणी आपने तीन बच्चों के साथ वहा आई चित्रभानु देख तुरंत उस पर तीर मरने लगा तभी हिरणी बोली- रुको शिकारी मुझे आभी मर मरो मेरे बच्मेंचे आभी बहुत छोटे है में उन्हें उनके पता के पास छोड़ कर तुम्हारे पास आ जाउंगी में तुम्हें वचान देती हूँ |चित्रभानु ने उसे भी जाने दिया और उनका इंतजार करने लगा | इंतजार करते-करते चौथा पहर भी लग गया चित्रभानु बिल के पत्ते तोड़ कर निचे फेकता रहा |
तभी वहा एक हिरन आया और चित्रभानु को देख कर कहने लगा क्या तुमने मेरे परिवार का शिकार कर लिया है यदि कर लिया है तो मुझे भी मर दो चित्रभानु ने रात की पुरे बात बताई | हिरन बोला की वह तीनों मेरी ही पत्नी है | तुम मुझे भी जाने दो में आपने परिवार को आपने साथ लेकर आता हूँ फिर तुम मेरे परिवार के सभी सदस्य का शिकार कर लेना | चित्रभानु ने का ठीक है तुम भी जाओ लेकिन आपना वचन यद् रखना | हिरन वहा से चले जाता है | चित्रभानु दिन भर से भूका-पियासा था उसका व्रत भी पूरा हो गया | जिस पर भगवान शिव ने प्रसन होकर उसका ह्रदय परिवर्तित कर दिया | जब हिरन आपने परिवार के साथ आया तो चित्रभानु ने हिरन और उसने परिवार को छोड़ दिया |
भगवान शिव ये सब देख रहे थे चित्रभानु के एसा करने से शंकर भगवान बहुत खुश हुए और चित्रभानु को मोक्ष दिया और उड़े शिवगण में सामिल कर शिव-लोक में आपने पास बुला लिया
तो दोस्तों देखा आपने चित्रभानु नें अनजाने में की पूजा का फल भी भगवान सदाशिव ने दिया भगवान शिव बहुत भोले है वह पूजा की विधी नहीं देखते वह उसका मन देखते है | सभी मनुष्य को सच्ची श्रध्दा से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए | वे थिड़े को बहुत समझते है उनकी महिमा आसिम है
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